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हिंदी कहानियां - भाग 159

कमाल की कबड्डी


कमाल की कबड्डी   रवि उदास है। वह मीना को बताता है कि उसकी की नानी की तबियत कुछ ठीक नहीं है इसीलिये उसके माँ और बाबा १०-१२ दिन के लिए उनके घर जा रहे हैं। रवि भी अपनी नानी से मिलना चाहता था।....रवि तब तक रमेश चाचा के घर रहेगा।   बहिन जी क्लास में आती हैं..बहिन जी घोषणा करती हैं, ‘ इस साल का कबड्डी मुकाबला अगले हफ्ते होगा,....चूँकि दीपू कबड्डी का अच्छा खिलाडी है....इसीलिये अपनी क्लास की टीम का कप्तान दीपू होगा।....तुम आज अपनी टीम चुन लेना।’   बहिन जी- (रवि से) रवि तुम आधी छुट्टी में मुझसे आके मिलना तुमसे एक जरुरी बात करनी है। और आधी छुट्टी के समय....दीपू ने अपनी टीम लगभग चुन ली। दीपू- कमल,सुनील,समीर,...और मोनू।   मीना- दीपू, लगता है तुम रवि को अपनी टीम में लेना भूल गए हो। दीपू- नहीं मीना, मैंने रवि की जगह मोनू को चुना है क्योंकि मोनू बहुत तेज दौड़ सकता है।   मीना- लेकिन रवि एक ही सांस में बहुत देर तक कबड्डी-कबड्डी-कबड्डी बोल सकता है। रवि भी तब तक बहिन जी से मिलकर आ जाता है, जिन्होंने रवि को नंबर कम आने के कारण और मेहनत करने को कहा है।   दीपू- मोनू, रवि जब मैं सीटी बजाऊँ, तुम दोनों कबड्डी-कबड्डी बोलना। जिसने ज्यादा देर तक बोला ...वही मेरी टीम में होगा।    ...........मोनू तो हांफने लगा और रवि अभी तक बोले ही जा रहा है।   टीम इस प्रकार बनती है-दीपू (कप्तान), कमल, सुनील, समीर और रवि। तय होता है रोज शाम को छुट्टी के बाद यही इसी मैदान में कबड्डी का अभ्यास किया जाएगा।   और अगले दिन स्कूल में..........   मीना- रवि, तुम्हारी आँख के आस-पास ये काला निशान कैसा?   रवि- मीना, कल रात को अँधेरे में, मैं दरवाजे से टकरा गया और आँख पर जरा सी चोट लग गयी।   रवि मीना की बात का जवाब दिए बिना ही चला गया।   और फिर स्कूल की छुट्टी के बाद जब रवि दीपू और बाकी दोस्तों के साथ कबड्डी का अभ्यास करने मैदान पर पहुँचा....   दीपू- रवि, तुम्हारी आँख पे चोट लगी है, क्या तुम ऐसी हालत में खेल सकोगे?   कबड्डी-कबड्डी-कबड्डी-कबड्डी-कबड्डी.....।   आँख में लगी चोट के कारण रवि ठीक से खेल नहीं पाया और दीवार पे लगी एक कील में फँस के उसकी पेण्ट भी फट गयी।   और अगले दिन स्कूल में.....   मीना- रवि, तुम्हारी बाजू पे ये पट्टी......   रवि- मीना, ठीक से दिखाई न देने की वजह से कल रात मेरा पैर फिसला और मैं गिर गया.....।   उस दिन शाम को छुट्टी के बाद दीपू अपनी टीम के साथ कबड्डी का अभ्यास करने मैदान पे पहुँचा। मीना के लाख मना करने के बाबजूद रवि खेला। लेकिन उसकी बाजू में बहुत जोर से दर्द होने लगा।   मीना उसे फौरन नर्स बहिन जी के पास ले गयी। नर्स बहिन जी ने रवि से पूँछा-‘.......तुम मुझसे कुछ छिपा तो नहीं रहे न।   दीपू फूट-फूटकर रोने लगा। रवि ने बताया, ‘कल रमेश चाचा ने मुझे छड़ी से पीटा था....क्योंकि कल कबड्डी का अभ्यास करते हुए मेरी पेण्ट फट गयी थी.....।   नर्स बहिन जी-रवि, तुमने ये बात किसी को बतायी क्यों नहीं?   रवि- किसको बताता नर्स बहिन जी, माँ बाबा तो शहर गए हैं....मैं बहुत डर गया था। नर्स बहिन जी, मुझे लगा कि अगर मैंने ये बात किसी को बतायी तो रमेश चाचा बहुत नाराज हो जायेंगे और मुझे फिर से पीटेंगे।   नर्स बहिन जी कहती हैं, ‘बच्चों पर हाथ उठाना कानूनी अपराध है।......स्कूल के टीचर, माता-पिता या फिर रिश्तेदार किसी को भी बच्चे पर हाथ उठाने का अधिकार नहीं। और अगर कोई ऐसा करता है तो कानून की नज़र में एक दंडनीय अपराध है। RTE Act  के अंतर्गत बच्चों पे किसी भी प्रकार की हिंसा एक अपराध है चाहे वो शारीरिक हो या मानसिक।...किसी बच्चे के साथ किसी भी तरह की हिंसा हो तो सबसे पहले अपने माता-पिता से या फिर किसी बड़े से या अपने टीचर से इस बारे मैं बात करनी चाहिए।’   रवि- नर्स बहिन जी, रमेश चाचा तो मेरे बड़े हैं लेकिन....   नर्स बहिन जी- मैं समझ रही हूँ रवि....अगर हाथ उठाने वाला घर का कोई सदस्य हो तो ऐसी स्थिति में उस बच्चे को तु्रन्त 1098 यानी चाइल्ड लाइन पे फ़ोन करना चाहिए।....और कोई बच्चा ऐसा ना कर सके तो बाल संरक्षण समिति के किसी सदस्य से बात करनी चाहिये और किसी बड़े के साथ पुलिस में शिकायत करनी चाहिए।   मीना रवि को अपने घर ले गयी। जब मीना के बाबा को पूरी बात का पता चला तो उन्होंने तुरंत रवि के माता-पिता को फ़ोन किया। जो अगले ही दिन गाँव लौट आये फिर उन्होंने मीना के बाबा के साथ जाके बाल संरक्षण समिति के सदस्य से रवि के चाचा की शिकायत की। बाल संरक्षण समिति के सदस्य ने रवि के चाचा को अपने घर बुलवाया औरत कहा, ‘देखो रमेश, इस बार तो हम तुम्हारे खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रहे है लेकिन आगे से तुमने ऐसा किया तो हम पुलिस में रिपोर्ट लिखवाकर तुम्हें जेल भिजवा देंगे।’ रमेश- मुझसे गलती हो गयी, मैं आपसे वादा करता हूँ कि आज के बाद कभी भी किसी भी बच्चे पे न तो हाथ उठूँगा न ही डाटूंगा।   रमेश को अपनी गलती का एहसास होता हो गया। उसने पूरे गाँव के सामने रवि से मांफी भी मांगी। और फिर तीन-चार दिन बाद जब रवि की बाजू ठीक हो गयी और स्कूल गया ...तो पता चला मीना ने प्रिंसिपल साहिबा को अर्जी लिखी कबड्डी के मुकाबले का आयोजन एक हफ्ते बाद करने को ताकि रवि भी मुकाबले में भाग ले सके।

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